🙏 गुरु व संस्थापिका – पूज्या राजेश्वरी दीदी
पूज्या राजेश्वरी दीदी जी इस संस्था की प्रेरणा स्रोत, मार्गदर्शिका और संस्थापिका हैं। उनकी साधना, सेवा और समर्पण भाव से आज हजारों साधक जीवन में आध्यात्मिक संतुलन और आत्मशक्ति का अनुभव कर रहे हैं।
जीवन यात्रा
🔷 1. प्रारंभिक जीवन
- जन्म: पूज्या राजेश्वरी दीदी का जन्म एक आध्यात्मिक प्रवृत्ति वाले धार्मिक परिवार में हुआ।
- बाल्यकाल से ही उनमें ईश्वर भक्ति, सेवा भाव और ध्यान की गहरी रुचि दिखाई देने लगी।
- साधना और आत्मिक चिंतन में उनकी विशेष रुचि थी, जिससे वे सांसारिक सुख-सुविधाओं से अधिक आत्मिक शांति की खोज में रहीं।
🔷 2. आध्यात्मिक झुकाव एवं साधना यात्रा
- युवावस्था में उन्होंने कई योग, ध्यान और अध्यात्म से जुड़े मार्गों का अभ्यास किया।
- धीरे-धीरे उन्हें अनुभव हुआ कि उनके भीतर एक विशेष ऊर्जा का संचार हो रहा है, जो केवल व्यक्तिगत नहीं, अपितु सामूहिक कल्याण के लिए है।
- उन्होंने वर्षों तक मौन साधना, जप, तप और गहन आत्म-अवलोकन के माध्यम से अपने भीतर की शक्ति को जाग्रत किया।
🔷 3. नारायण रेकी की प्राप्ति एवं स्थापना
- गहन ध्यान और ध्यानानुभवों के माध्यम से उन्हें "नारायण चेतना" से साक्षात्कार हुआ।
- इस दिव्य अनुभूति के माध्यम से उन्होंने "नारायण रेकी" को आकार दिया
- एक ऐसा पथ जो केवल उपचार नहीं, बल्कि साधक को विष्णु स्वरूप की चेतना से जोड़ने वाला मार्ग है।
- नारायण रेकी का उद्देश्य: आत्मिक शुद्धि, प्रेम, करुणा और विष्णु तत्त्व की अनुभूति।
🔷 4. नारायण रेकी सत्संग परिवार की स्थापना
- वर्ष ...... में उन्होंने नारायण रेकी सत्संग परिवार की स्थापना की।
- उद्देश्य: साधकों को एक ऐसे आध्यात्मिक मंच पर एकत्र करना जहाँ वे ध्यान, साधना, सेवा और आत्मिक विकास का अनुभव कर सकें।
- यह परिवार आज हजारों साधकों का आध्यात्मिक आश्रय है, जो देश-विदेश में फैला हुआ है।
🔷 5. गुरु रूप में योगदान
- पूज्या दीदी केवल एक शिक्षक नहीं, एक मार्गदर्शक, संरक्षक और आध्यात्मिक माँ हैं।
- उन्होंने अनेकों साधकों को आत्मिक समस्याओं से मुक्ति दिलाई, प्रेम और करुणा का मार्ग दिखाया।
- उनके द्वारा करुणा, क्षमा, सेवा और भक्ति पर आधारित साधना पद्धतियाँ लाखों को जीवन रूपांतरण की दिशा में ले जा रही हैं।
🔷 6. वर्तमान में सेवा और विस्तार
- वर्तमान में वे नियमित साधना शिविरों, ध्यान सत्रों और ऑनलाइन सत्संग के माध्यम से साधकों से जुड़ी रहती हैं।
- वे अपने जीवन का हर क्षण आध्यात्मिक सेवा, ऊर्जा विस्तार और नारायण चेतना के प्रचार-प्रसार में समर्पित कर चुकी हैं।
- उनका उद्देश्य है: "हर आत्मा को उसका नारायण स्वरूप पहचानने में सहायता करना।"